Bangladeshi Protest 2024:
Bangladeshi Protest में पुलिस और आर्मी स्टूडेंट के पीछे पड़ी हुई है कहीं पुलिस व्हान्स स्टूडेंट के ऊपर से गुजरती हुई दिखाई दी। तो कहीं हेलीकॉप्टर को यूनिवर्सिटी की छतो पर लैंड करते देखा गया सड़कों पर हजारों लाखों Bangladeshi Protest करते दिखाई दिए.
कहीं पर रैलीज निकल गई तो कहीं प्रोटेस्ट मार्च देखते ही देखते स्टूडेंट की तैयारी कितनी फैल गई कि उन्होंने मजबूर होकर रोड हाईवेज और रेलवे सिस्टम को भी ब्लॉक कर दिया. नौबत यहां तक आप पहुंची कि बांग्लादेश की सरकार ने पुलिस के साथ-साथ आर्मी को भी स्टूडेंट के मध्य मुकाबिल ला खड़ा किया.
लोकल मीडिया तो वैसे ही कुछ रिपोर्ट नहीं कर रहा था. ऊपर से इंटरनेट, सोशल मीडिया और सबसे बढ़कर व्हाट्सएप भी ब्लॉक करके अहम एरियाज में कर्फ्यू नफीस कर दिया गया. और कर्फ्यू भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि शूट एट साइट. कई मकमत पर स्टूडेंट्स के ऊपर डायरेक्ट गोलियां भी बरसाई गई.
200 से ज्यादा निहत्थे स्टूडेंट मारे गए कई हजार जख्मी और देश हमारा स्टूडेंट को अरेस्ट कर दिया गया. इस सब के साथ-साथ इतने दिनों तक मुल्क शटडाउन रहने की वजह से बांग्लादेश को दो बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हो चुका हे. इतना सब कुछ होने के बाद सबके ज़हन में एक ही सवाल मच रहा है कि बांग्लादेश में आखिर यह सब क्यों हो रहा है.
5th जून 2024 को हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद से हुई. जब उन्होंने बांग्लादेश सिविल सर्विसेज में कोटा सिस्टम को वापस से बहाल कर दिया. शुरुआत में कुछ पीसफुल प्रोटेस्ट देखे गए लेकिन उसके बाद ईद की छुट्टियां आनी थी. इसी वजह से मुल्क भर में प्रोटेस्ट पोस्टपोन कर दिए गए.
ईद के बाद स्टूडेंट्स ने दोबारा से प्रोटेस्ट शुरू किये और इस बार यह कुछ ज्यादा सीरियस थे. उन्होंने रोड ब्लॉक किया और कोटा सिस्टम को खत्म करने की मांग जाहिर की. है वैसे तो Bangladeshi Protest का मकसद कोटा सिस्टम का खात्मा था. लेकिन देखते ही देखते इसमें और भी कई लोग शामिल हो गई.
बांग्लादेश में अवामी लीग पार्टी के गवर्नर है और इसी पार्टी का एक स्टूडेंट विंक है. जिसको छात्रा लीग कहा जाता है. छात्रा लीग के मेंबर्स ने प्रोटेस्ट करने वाले स्टूडेंट्स पर हमले किये. और वह भी पुलिस की सपोर्ट से इस मामले पर स्टूडेंट जो पहले सिर्फ कोटा सिस्टम के खिलाफ Bangladeshi Protest कर रहे थे. उनमें गुस्से की एक लहर दौड़ गयी.
साथ ही साथ कई मकान पर आर्मी ने UN की गाड़ियों को प्रोटेस्टर्स के खिलाफ इस्तेमाल किया. जिससे यह समझ गया कि शायद यूनाइटेड नेशंस भी इस सब में शामिल है. जब यह खबर इंटरनेशनल मीडिया पर चलिए तो पूरी दुनिया में यूनाइटेड नेशंस का एक बुरा इम्प्रैशन गया. और UN ने बांग्लादेश से ऐसा करने की वजह तलब की मालूम पड़ा कि कुछ गाड़ियां उन मिशन को रेंट की गई थी. लेकिन उन पर से लोगों नहीं हटाया गया था.
अभी प्रोटेस्टर्स का गुस्सा थम ही नहीं था कि 14th जुलाई 2024 को बांग्लादेश की प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना ने कुछ रिमार्क्स दिए. जिसे मामले को गंभीर बना दिया उनका कहना था कि फ्रीडम फाइटर्स को अगर जॉब्स में कोटा नहीं दिया जाएगा तो क्या रजा कारों को दिया जाएगा. प्राइम मिनिस्टर के इस बयान ने तो जैसे आंख से ही लगा दी. लेकिन इस बयान की असल वैल्यू आपको तब समझ आएगी जब आपको फ्रीडम फाइटर और रजाकारो के बारे में मालूम होगा.
Bangladeshi Protest की शुरुवात:
जैसा कि आप जानते हैं कि 1971 से पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था. उसे वक्त इसको ईस्ट पाकिस्तान जब के आज के पाकिस्तान को वेस्ट पाकिस्तान कहा जाता था. ईस्ट और वेस्ट पाकिस्तान दोनों को इंडिया ने डिवाइड किया हुआ था. इन दोनों में फासला भी काफी ज्यादा था. और दोनों के बीच रिलीजन को छोड़कर काफी सारे डिफरेंस पाए जाते थे.
जिसमें लैंग्वेज का फर्क सबसे बड़ा था. ईस्ट पाकिस्तान यानी के बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान की अवामी लीग का काफी ज्यादा होल्ड था. जबकि वेस्ट पाकिस्तान में मुफ्त अलिफ पॉलीटिकल पार्टी मौजूद थी. उसे वक्त पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा हुआ था. और जनरल यया खान जो उसे वक्त के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर थे. उनकी जिम्मेदारी थी पाकिस्तान में जनरल इलेक्शंस करवाने की. इन इलेक्शंस में ईस्ट पाकिस्तान की अवामी लीग को काफी कामयाबी मिली.
जिन्होंने ईस्ट पाकिस्तान की 169 सीट्स में से 167 सीट्स को क्लीन स्वीप कर दिया. अब पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की टोटल सीट्स ही 300 थी जिनमें से 167 यानी के आधी से भी ज्यादा सीट्स ईस्ट पाकिस्तान की अवामी लीग ले चुकी थी. जिसका मतलब था की अवामी लीग नेशनल असेंबली ऑफ पाकिस्तान में अपनी गवर्नमेंट आसानी से बना सकती थी. पर उसे वक्त की मिलिट्री लीडरशिप ऐसा नहीं चाहती थी.
जिसके चलते ईस्ट पाकिस्तान में सिविल डिसऑबेडिएंस की तैयारी चल पड़ी. 7th मार्च 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने अपनी स्पीच में पाकिस्तान से अलग होने का इशारा दे दिया. और 23rd मार्च को पहले बांग्लादेशी फ्लैग ईस्ट पाकिस्तान के काफी घरों पर लहराया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि ईस्ट पाकिस्तान में एक मिलिट्री ऑपरेशन लॉन्च किया गया. जिसका मकसद ईस्ट पाकिस्तान को वेस्ट पाकिस्तान से अलग होने से रोकना था.
बांग्लादेश की आजादी की यह जंग अगले 9 महीने तक चलती रही. जिसमें ईस्ट पाकिस्तान में मिलिट्री की कुछ यूनिट्स ने पाकिस्तान से अलग होकर आजादी पाने के लिए अपनी अलग फोर्स बनाकर जिसको बांग्लादेश फोर्सज, मुक्ति वाहिनी, या फिर फ्रीडम फाइटर्स भी कहा जाता. है दूसरी तरफ बांग्लादेश में ही मौजूद वह ग्रुप जो वेस्ट पाकिस्तान को सपोर्ट करता था. उनको रजाकार कहा जाता है.
इस जंग के आखिरी दो हफ्तों में बांग्लादेश को इंडिया की सपोर्ट भी हासिल हो गई और यू ईस्ट पाकिस्तान वेस्ट से अलग होकर बांग्लादेश की मदद से ही बांग्लादेश आजाद हुआ था. तभी शेर मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के प्रेसिडेंट बन चुके थे. उन्होंने बांग्लादेश सिविल सर्विसेज में फ्रीडम फाइटर का अलग से 30% कोटा रख दिया.
अभी Bangladeshi Protest क्यों कर रहे हे?
1997 में यानी के लिबरेशन वॉर के 26 सालो के बाद बांग्लादेश सिविल सर्विसेज में फ्रीडम फाइटर की रिक्रूटमेंट काफी कम हो गई. जिसके चलते गवर्नमेंट ने यह कोटा सिर्फ फ्रीडम फाइटर्स नहीं है बल्कि उनके बच्चों के लिए भी बढ़ा दिया. और फिर 2010 में फ्रीडम फाइटर का कोटा उनके पोते पोतियो के लिए भी एलिजिबल कर दिया गया.
लेकिन इसके बावजूद भी सिर्फ 10% फ्रीडम फाइटर की नस्ल यह कोटा ले रही थी और बाकी का कोटा जाया हो जाता अब पूरे मुल्क में जो लोग मैरिड पर मेहनत करके सिविल सर्विसेज की जॉब हासिल करना चाहते हैं उनका कोटा 44% था और वह भी अब कम पड़ना लगा तो यह चीज स्टूडेंट्स को काफी खराब लगती है कि हम इतनी मेहनत करने के बाद भी मेरिट के 44% कोटा में भी नहीं आ सकते.
जबकि फ्रीडम फाइटर का खानदान कुछ ना करके भी आसानी से गवर्नमेंट जॉब हासिल कर सकता है. 8 मार्च 2018 को बांग्लादेश हाई कोर्ट में कोटा सिस्टम के खिलाफ एक पिटीशन फाइल हुई. जिसको कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया उसे वक्त प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना ने कहा कि वह पर्सनली फ्रीडम फाइटर के खानदान के लिए कोटा रखना चाहती है. जिस पर स्टूडेंट्स ने कोटा सिस्टम के खिलाफ भरपूर प्रोटेस्ट की है.
उनका कहना था कि यहां तो फ्रीडम फाइटर के बच जाने वाले कोटा को मेरिट वाले कोटा में मर्ज कर दिया जाए या फिर फ्रीडम फाइटर का कोटा कम किया जाए. इस पर प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना ने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया और बांग्लादेश सिविल सर्विसेज में से कोटा सिस्टम ही खत्म कर दिया.
अगले कुछ सालों तक खामोशी रहि लेकिन फिर अचानक बांग्लादेश हाईकोर्ट ने 5th जून 2024 को शेख हसीना का वह एग्जीक्यूटिव ऑर्डर कैंसिल करके कोटा सिस्टम वापस से बहाल कर दिया. और यही से दोबारा प्रोटेस्ट शुरू हो गए जब हालात हद से ज्यादा बढ़ गए तो 21st जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट आफ बांग्लादेश ने कोटा सिस्टम में भारी रद्द बदल का आर्डर पास किया. उसे ऑर्डर में 93% कोटा मेरिट के लिए दिया गया जो कि पहले 44% था और फ्रीडम फाइटर का कोटा जो पहले 30% था. उसको काम करके 5% कर दिया गया 1% माइनॉरिटी और 1% मजूर लोगों के लिए फिक्स किया गया.
इस आर्डर के बाद स्टूडेंट्स ने सिर्फ इस शर्त पर प्रोटेस्ट खत्म करने का फैसला किया कि उनके अरेस्ट किए गए साथियों को छोड़ा जाए और जिन इलाकों में स्टूडेंट्स को मारा गया. वहां के गवर्नमेंट ऑफिशल्स रिजाइन करें. फिलहाल स्टूडेंट की डिमांड्स पूरी नहीं हुई लेकिन गवर्नमेंट कामना है की सिचुएशन काफी हद तक कंट्रोल में है. मोबाइल सर्विस इंटरनेट और सोशल मीडिया दोबारा से खोले जा रहे हैं.
यह भी पढ़े :
Mahadev Temple Pune: इस 14 प्राचीन भगवान शिव मन्दिरों में आपको जाना ही चाहिए